कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं?

कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं?

कुत्ते(खूटे) में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? यह पंचतंत्र की एक कहानी है। जो की एक चिड़ियां पर आधारित है जिसमे चिड़िया यह गाना गाती है और इसके माध्यम से जंगल के लोगो से मदद मांगती है।

कहानी कुछ इस प्रकार है।

सुंदरवन जो की एक जंगल है वहां एक चिड़िया रहती है जो की काफी दिनों से भूखी होती है वह अपने एक साथी चिड़िया से कहती है की वह बहुत भूखी है और बहुत दिनो से कुछ खाया नहीं हैं। तब उसकी साथी चिड़िया उसे कहती है की गांव की सड़क पर बहुत सारे चने के दाने गिरे हुए है तम जाओ और उसे खा लो।

उस साथी चिड़िया की बात को सुनकर वह चिड़िया गांव की सड़क की ओर चल पड़ती है लेकिन जब तक वह वहां पहुंचती है बाकी की चिड़िया से सारे चने के दाने खा लिए होते है। फिर वह चिड़िया और थोड़ा आगे बढ़ती है तो उसे एक चने का दाना दिखता है और वह खुश हो जाती है।

उस चने के दाने को अपनी चोंच पर दबाकर वह दूसरे स्थान पर लेकर जाति है और एक सूखे लकड़ी के खुटे पर बैठती है लेकिन जेसे ही वह चिड़िया चने का दाना खाने के लिए नीचे रखती है तो वह दाना खुटे की दरार मैं जा कर फस जाता है।


चिड़िया बढ़ाई के पास जाती है।

अब वह चिड़िया परेशान हो जाती है और उसे बहुत तेज भूख भी लगने लगती है तो वह एक बड़ाई (लकड़ी का कार्य करने वाले) के पास जाती है और उसे कहती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? आप मेरी मदद करे लेकिन वह बढ़ाई चिड़िया को माना कर देता है।

चिड़िया राजा के पास जाती है।

अब वह चिड़िया उस राज्य के राजा के पास जाती है वही गाना गाती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? और उस बढ़ाई को सजा देने के लिए कहती है। लेकिन राजा कहता है की इतनी छोटी सी बात के लिए मैं बढ़ाई को सजा नही दे सकता हु।


चिड़िया रानी के पास जाती है।

यह सुनकर चिड़ियां रानी के पास जाती है और रानी से कहती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? ओर राजा से लड़ने और कहती है और उस बढ़ाई को सजा देने को कहती है। लेकिन रानी राजा से लड़ने के लिए मना कर देती है।

चिड़िया साप के पास जाती है।

रानी के न कहने पर चिड़िया एक साप के पास जाती है और कहती हैं कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? ओर रानी को काटने के लिए कहती है। लेकिन साप कहता है की रानी ने मेरा कुछ नही बिगाड़ा मैं रानी को नहीं कटुगा। 


चिड़िया लाठी के पास जाती है।

साप के माना करने पर चिड़िया लाठी के पास जाती है है और कहती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? और साप के मारने के लिए बोलती है लेकिन लाठी मना कर देता है वह कहता है की साप ने मेरा कुछ नही बिगाड़ा मैं उसे नही मारूंगा।

चिड़िया आग के पास जाती है।

लाठी के माना करने पर चिड़िया आग के पास जाती है और वही गाना गाती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? ओर लाठी को जलाने के लिए कहती है लेकिन आग चिड़िया को मना कर देता है और कहता है की मैं लाठी को नहीं जलाऊंगा।


चिड़िया पानी के पास जाती है।

आग के माना करने पर चिड़िया पानी के पास जाती है और वही गाना गाती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? ओर आग को बुझाने के लिए कहती है लेकिन पानी चिड़िया को यह करने के लिए मना कर देती है और कहती है की मैं आग को नहीं बिझाऊंगी।

चिड़िया हाथी के पास जाती है।

इसके बाद चिड़िया हाथी के पास जाती है और वही गाना गाती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? ओर पानी को पानी सूंड से निकालने के लिए बोलती है लेकिन हाथी माना कर देता है।


चिड़िया मकड़ी के पास जाती है।

इसके बाद चिड़िया मकड़ी के जाल के पास जाती है और वही गाना गाती है और कहती है की हाथी की वह अपने जाल मैं कैद कर ले लेकिन मकड़ी उसे मना कर देती है कहती है की वह ऐसा नहीं करेगी।

चिड़िया चूहे के पास जाती है।

इसके बाद चिड़िया एक चूहे के पास जाती है और वही गाना गाती है कुत्ते में चने का दाना क्या खाऊं क्या पीऊं क्या लेकर घर जाऊं? ओर मकड़ी के जाल को कुतरने के लिए कहती है लेकिन बाकी सभी लोगो को तरह ही चूहा भी चिड़ियां को माना कर देता है।


चिड़िया बिल्ली के पास जाती है।

आखरी मैं चिड़िया एक बिल्ली के पास जाती है और चूहे को खाने की बात कहती है बिल्ली काफी दिनों से भूखी रहती है वह उसकी बात मान जाती है और चूहे को खाने के लिए तैयार हो जाती है।

चिड़िया और बिल्ली चूहे के पास जाती है तो चूहा बिल्ली को देखकर कहता है की आप मुझे मत खाओ मैं अभी मकड़ी के जाल को कुतरता हूं।

ओर जेसे ही चूहा मकड़ी के जाल को कुतरने के लिए जाता है तो मकड़ी कहती है की मेरे जाल को मत कुतरना मैं अभी हाथी को जाल मैं कैद करती हु।


यह सुनकर हाथी बोलने लगता है की मुझे जाल मैं कैद मत करो मैं अभी अपनी सूंड से पानी को बाहर निकालता हूं।

ओर जेसे ही हाथी पानी के पास जाता है तो पानी हाथी से कहता है की मुझे बाहर मत निकालो मैं अभी आग को बुझाती हूं।

ओर जब पानी आग को बुझाने जाति है तो आग कहता है की मुझे मत बुझाना मैं अभी लाठी को जलाता हुं।

आग जब लाठी के पास जाता है तो लाठी आग से कहता है मुझे मत जलाओ मैं अभी साप को मारता हू।

साप लाठी को अपने पास आता देख कहता है की मुझे मत मारो मैं अभी रानी को काटता हू।

साप रानी को काटने के लिए जाता है तो रानी कहती है मुझे मत काटो मैं अभी राजा जी से लड़ती हू।


रानी राजा से लड़ने लगती है तो राजा परेशान होकर कहता है की मैं अभी उस बढ़ाई को सजा देता हु।

राजा जब उस बढ़ाई के पास जाते है और उसे सजा देने की बात कहते है तो वह बढ़ाई दर जाता है और कहता है की मुझे सजा मत दीजिए मैं अभी उस कुटे को काटता हू।

ओर वह बढ़ाई उस लकड़ी खूंटे को काट काट देता है और वह चने का दाना उस भूखे चिड़िया को मिल जाता है।

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